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Saturday, January 10, 2015

टॉन्सिल, कंठमाला (गिल्‍टी)


टॉन्सिल, कंठमाला (गिल्‍टी)


१ – सूखे अंजीर को पानी में उबाल कर उसे अच्‍छी तरह मसलें। फिर इसका लेप करें। इससे गले के भीतर की सूजन दूर हो जाती है।

२ – सरसों, सहिजन के बीज, सन के बीज, अलसी, जौ, व मूली के बीज आदि को समान मात्रा में लेकर पीस लें। फिर लेप बनाकर टॉन्सिल के ऊपर लगाएं। आपको लाभ होगा।

३ – जलकुंभी की भस्‍म को सरसों के तेल में मिला कर लेप करने से पुराने से पुराने टॉन्सिल की सूजन ठीक हो जाती है।

४ – केलों के छिलके को निकाल कर गले के ऊपर बांधने से फायदा होता है।

५ – प्‍याज को घी में भूनकर पुल्टिस बांधने से दो – तीन दिन में ही कंठमाला ठीक हो जाता है।

६ – तीन – चार दिन की बासी खटटी छाछ में आक की जड़ पीस कर लेप करें। इससे दूषित रक्‍त व कफ पिघल कर निकल जाता है और गिल्टियां भी ठीक हो जाती हैं।

७ – मीठे मटठे में सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से गिल्टियां ठीक हो जाती हैं।

८ – छाछ में काली मिर्च पीस कर लेप करने से गिल्टियों में लाभ होता है।


हिचकी आने पर आप इन उपायों को अपना सकते हैं


१ – १० ग्राम तुलसी दल, १० ग्राम काली मिर्च और २ ग्राम छोटी इलायची को एक साथ पीस कर चूर्णं बनाएं। इसे चूर्णं को ३ – ४ ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेने से हिचकियों में आराम मिलेगा।

२ – एक ग्‍लास गुनगुना पानी पीने से हिचकी दूर होती हैं।

३ – सोंठ को पानी में घिस कर सूंघने से हिचकी तुरंत बंद हो जाती है।

४ – अदरक का रस, काली मिर्च और नींबू का रस मिला कर चाटने से हिचकी बंद हो जाती हैं।


५ – मूली के तीन – चार पत्‍ते खाने से भी हिचकियों में फाएदा होता है।

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